26 सितम्बर 2021 रविवार (क्रिप्टो न्यूज़ हिंदी)

बिटकॉइन की तकनीक को बनाने के पीछे एक मुख्य उद्देश्य यह था कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक लेनदेन पूरा हो बिना किसी तीसरे पक्ष के और इसमें कम से कम समय लगे। बिटकॉइन की तकनीक अपने समय में बहुत तेज़ थी लेकिन समय के साथ-साथ यह रफ़्तार धीरे लगने लगी क्योंकि ब्लॉकचेन तकनीक में बहुत तेज़ प्रगति हो रही थी। बिटकॉइन के साथ धीमी रफ़्तार की जो समस्या आ रही थी उसका बहुत बेहतर तरीके से समाधान दिया एथेरियम नेटवर्क ने। एथेरियम ने कई बार अपने नेटवर्क को अपग्रेड किया और कोशिश की कि ट्रांजक्शन को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके लेकिन यह ब्लॉकचेन भी धीरे लगने लगी और इसका कर था पूरी दुनिया में क्रिप्टो के प्रति आकर्षण।

एथेरियम ब्लॉकचेन पर लाखों स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट, एप्लीकेशन, और टोकन की डेवलपमेंट होने लगी। एथेरियम की इस धीमी गति को सुधारने के लिए कई साइड चेन और ब्लॉकचेन क्रिप्टो बाजार में आ गई जैसे की बाइनेन्स चेन, ट्रोन नेटवर्क, पोलीगोन मैटिक, नियर प्रोटोकॉल और भी कई। साइड चेन का फायदा यह हुआ की एथेरियम नेटवर्क पर कुछ बोझ कम हुआ और प्रोजेक्ट जो इन ब्लॉकचेन पर आए, उन्हें तेज़ रफ़्तार ट्रांजक्शन मिली वह भी कम फीस पर।

इस पूरे सिस्टम में जहां आज स्केलिंग की समस्या का समाधान देने के लिए जो साइडचेन और नेटवर्क काम कर रहे हैं उनकी मेहनत का फायदा क्रिप्टो समुदाय तक पहुंचने में एक समस्या आ रही है और वह है केंद्रीयकृत क्रिप्टो एक्सचेंजस ! पिअर टू पिअर लेनदेन के सिद्धांत को तो एक्सचेंज ने पहले से ही खत्म कर दिया है क्योंकि यहाँ पर निवेशक की क्रिप्टो एक्सचेंज के हाथों में है और निवेशक का इस पर नियंत्रण मात्र एक पॉसवर्ड से है। अगर आपको अपनी क्रिप्टो को एक्सचेंज से कहीं और भेजना है तो आप पूरी तरह से एक्सचेंज के सिस्टम पर निर्भर हैं। जब भी कोई निवेशक एक्सचेंज से अपनी क्रिप्टो को कहीं और ले जाना चाहता है तो यह केंद्रीयकृत एक्सचेंज के द्वारा बनाए गए सिस्टम से हो कर गुजरता है जिसके कारण बहुत ज्यादा देर होती है।

पोलीगोन जैसे नेटवर्क जो की 7200 TPS पर काम करता है और बाइनेन्स जैसी एक्सचेंज जो इस नेटवर्क को सपोर्ट भी करती है, इस एक्सचेंज से अगर आप मैटिक टोकन को पोलीगोन नेटवर्क का इस्तेमाल करके कहीं और ले जाना चाहें तो एक्सचेंज इसके लिए 128 कन्फ़र्मेशन लेती है। यानि जो मैटिक आमतौर पर 5 से 10 सेकंड में मिल जाना चाहिए, वह आपको 5 से 10 मिनट में मिलता है और कई बार समय इससे भी ज्यादा लगता है। सोलाना के साथ भी ऐसा ही है, जब कभी भी निवेशक किसी प्रोजेक्ट के लिए अपने टोकन को विड्राल करना चाहता है तो एक्सचेंज उसे रोक देती है। पिछले दिनों जब सोलाना के कुछ NFT प्रोजेक्ट लॉन्च हो रहे थे और सभी SOL टोकन को विड्राल करना चाहते थे तो एक्सचेंज ने विड्रॉल बंद कर दिया। ट्रांजक्शन फीस के मामले में तो एक्सचेंज किस हद तक पैसा ले रही हैं, यह ERC20 नेटवर्क का इस्तेमाल करके देखा जा सकता है। इसके पीछे का कारण एथेरियम गैस फीस कहा जाता है लेकिन सही बात तो यह है की एक्सचेंजस अपनी ब्लॉकचेन का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए यह कर रही है, 20 डॉलर की फीस समझ से बाहर है।

एक तरफ ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट्स हैं जो दिन रात यह कोशिश कर रहे हैं कि कैसे सिस्टम को और बेहतर व तेज बनाया जाए और वहीं दूसरी तरफ क्रिप्टो एक्सचेंजस हैं जो इन प्रोजेक्ट्स कि मेहनत पर पानी फेर रही हैं। निवेशक के पास एक्सचेंज को इस्तेमाल करने के इलावा भी कई विकल्प हैं लेकिन वह उन्हें शायद ज्यादा तकनीकी लगते हैं। पर इसका समाधान DEX हैं और अब ऐसी बहुत सारी सुविधाएं DEX पर आ रही हैं जिसके कारण केन्द्रीयकृत एक्सचेंज पर निर्भरता बहुत कम हो जाएगी। यहाँ पर क्रिप्टो निवेशकों को भी जागरूक होने कि जरुरत है क्योंकि यह एक्सचेंज चलती तो निवेशकों से ही हैं।
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