15 सितंबर 2020 मंगलवार

बिटकॉइन का पूरा सिस्टम कोडिंग पर चलता है और सातोषी नाकामोटो ने इसके लिए कंप्यूटर की C++ भाषा का इस्तेमाल किया है।बिटकॉइन सिस्टम को बनाने में कितना समय लगा और इसे टैस्ट किया गया था या नहीं इसके बारे में तो जानकारी नहीं है लेकिन यह बात सही है कि बिल्कुल सही कोडिंग के कारण ही बिटकॉइन आज भी बिना किसी तकनीकी खराबी के सुचारू रूप से चल रहा है और भविष्य में भी इसमें किसी तरह की कोई समस्या नहीं आएगी।

क्या होती है कोडिंग?
कंप्यूटर की हर एक गतिविधि के पीछे काम करती है “कोडिंग” यह एक गुप्त भाषा है जो किसी कार्यप्रणाली को सही तरीके से चलाने के लिए उत्तरदाई होती है।आप के पास जो एक कैलकुलेटर है उसकी भी एक प्रोग्रामिंग या कोडिंग है जिसे यह निर्देश दिए गए हैं कि 10+10 नंबर दबाने से जवाब 20 आएगा और यह कोडिंग बिल्कुल सही काम करती है।ऐसी ही कोडिंग क्रिप्टो प्रोजेक्ट के लिए भी की जाती है,जैसे ईथेरियम,ट्रोन,मैटिक और बाकी ब्लॉकचेन के प्रोजेक्ट की कोडिंग यानी गुप्त भाषा का इस्तेमाल किया जाता है प्रोजेक्ट को बनाने के लिए।इन कोडिंग द्वारा एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट या DeFi प्रोजेक्ट्स को निर्देश दिए जाते हैं कि कैसे यह प्रोजेक्ट काम करेगा।कोडिंग में एक छोटी सी समस्या पूरे प्रोजेक्ट को खराब कर सकती है और उस प्रोजेक्ट में लगे निवेश को नुक्सान हो सकता है।इन्हीं कोडिंग की समस्या के कारण हैकर जो इन कोडिंग को बहुत बेहतर तरीके से समझते हैं वह इनकी कमियों का फायदा उठा कर प्रोजेक्ट्स से फंड निकाल लेते हैं या प्रोजेक्ट में फंड हमेशा के लिए लॉक हो जाता है।कोडिंग की इन समस्याओं के कारण लोगों के निवेश का नुक्सान तो होता ही है साथ ही उस प्रोजेक्ट से संबंधित क्रिप्टो का भी नुक्सान होता है क्योंकि वह हमेशा के लिए फस जाती है और बाज़ार में सप्लाई कम हो जाती है।

प्रोजेक्ट की टेस्टिंग और ऑडिट बहुत जरूरी
कोई भी प्रोजेक्ट जब तैयार हो जाता है तो इसे ब्लॉकचेन पर डालने से पहले टैस्ट किया जाता है जो बेहद ही जरूरी अंग है किसी प्रोजेक्ट के लिए।टेस्टिंग में यह जांच की जाती है क्या सभी कोडिंग सही तरह से काम कर रही है या नहीं?टेस्टिंग को मानवीय ओर मशीनी तौर पर टेस्ट किया जाता है।यहां अगर प्रोजेक्ट की टेस्टिंग को काफी बड़े स्तर पर किया जाए तो कोडिंग की समस्या जिन्हें बग भी कहा जाता है इनका पता चल जाता है लेकिन इसके लिए जायदा मानवीय ताकत,विशेषज्ञ और समय लगाना चाहिए ताकि हर एक कोडिंग की गहराई से जांच की जा सके।

इसके बाद बात आती है ओडिट करने की।दुनिया में बहुत कम ऐसे लोग या कंपनीयां है जो बिल्कुल सही तरीके से प्रोजेक्ट की जांच करने के बाद एक बेस्ट ऑडिट रिपोर्ट दे सकें और यही कारण है कि प्रोजेक्ट की ऑडिट रिपोर्ट बहुत मंहगी होती है और अक्सर प्रोजेक्ट बनाने वाले कुछ पैसा बचाने के लिए ऑडिट नहीं करवाते और कोडिंग की समस्या के कारण प्रोजेक्ट फेल हो जाते हैं इस लिए ऑडिट बहुत जरूरी है और हो सके तो दो अलग अलग जगह से ऑडिट करवाना चाहिए।यह दोनों बातें अगर ध्यान में रखे तो काफी हद तक कोडिंग से पैदा होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।

किस से बनवाएं प्रोजेक्ट कोडिंग?
आज बाजार में हर दिन नए क्रिप्टो प्रोजेक्ट,स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और DeFi प्रोजेक्ट आ रहे हैं।इनमें से ज्यादातर प्रोजेक्ट की कोडिंग बाहर से करवाई जाती है यानी की कोडिंग टीम उस ब्लॉकचेन की नहीं होती जिस की कोडिंग का इस्तेमाल किया का रहा है बल्कि यह दूसरी कंपनी के कोडिंग विशेषज्ञ होते हैं जिन्होंने इस कोडिंग का ज्ञान लिया है।ऐसा नहीं है कि यह कोडिंग विशेषज्ञ सही नहीं होते लेकिन फिर भी अगर ब्लॉकचेन की उसी टीम के कोडिंग विशेषज्ञों से कोडिंग करवाई जाए तो गलती होने की संभावना न के बराबर होगी क्योंकि इनके पास अपने प्रोजेक्ट का अनुभव भी होता है और यह ज्यादा बेहतर तरीके से कोडिंग को कर सकते हैं।ब्लॉकचेन तकनीक या कोडिंग के संस्करण को भी लगातार अपग्रेड किया जाता है और ऐसे में उसी ब्लॉकचेन के विशेषज्ञ ज्यादा बेहतर और अपग्रेड वाली कोडिंग से प्रोजेक्ट को तैयार कर सकते हैं।अगर आप मैटिक की ब्लॉकचेन पर अपने प्रोजेक्ट को डेवलप कर रहे हैं तो बेहतर होगा मैटिक टीम से ही कोडिंग करवाएं ताकि किसी तरह की कोई समस्या न हो

Crypto प्रोजेक्ट, ब्लॉकचेन,DeFi और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट आने वाले भविष्य में हर जगह काम करेंगे और कोई ऐसा क्षेत्र नहीं होगा जहां इनकी उपस्थिति न हो।ऐसे में प्रोजेक्ट को बनाने वाले और बनवाने वालों दोनों को ही बहुत जायदा सावधानी रखनी चाहिए कोडिंग के बारे क्योंकि कोडिंग की एक छोटी सी गलती बहुत बड़ा आर्थिक नुक्सान पहुंचा सकती है।

#cryptonewshindi #coding #defi #wazirxwarriors

what is crypto coding
Crypto coding testing & audits
Defi failed because of coding