रिप्पल कॉइन पर लोगों का भरोसा तो है ही क्योंकि इसमें ज्यादा उतार चढ़ाव नही होता, साथ ही बैंक भी रिप्पल नेट का इस्तेमाल करते है पेमेंट को एक देश से दूसरे देश मे भेजने के लिए।
रिप्पल को “रिप्पल लैब्स” जो एक अमेरिका की कंपनी है ने “रियल टाइम ग्रॉस सेटेलमेंट”(RTGS) के लिए बनाया है जिसका अर्थ है एक देश से दूसरे देश मे पैसा भेजने का एक ऐसा तरीका जो तेज है, त्रुटि रहित है, सुरक्षित है और जिसे एक बार कंफर्म होने के बाद वापिस नही किया जा सकता । रिप्पल को बनाने की योजना जेड मैक्लेब के दिमाग की खोज है ।जेड मैक्लेब एक अमेरिकन व्यक्ति है जो की एक कंप्यूटर प्रोग्रामर और एक व्यव्सायी भी हैं । जेड मैक्लेब के साथ ही आर्थर ब्रिटो,डेविड स्कवार्टज़ और रयान ने मिल कर रिपल को बनाया । रयान ने इस से पहले ऑनलाइन सुरक्षित पेमेंट लेनदेन के लिए वित्य सलाहकार के रूप मे कार्ये किया था और वो इस काम के जानकार भी थे इस लिए उन्होंने रिप्पल नेट मे इस तकनीक का इस्तेमाल किया। बहुत कम लोग जानते है कि जेड मैक्लेब अब रिप्पल के साथ नही है और उन्होंने एक नयी क्रिप्टो कॉइन को बनाया है जिसे “स्टेलर या एक्सएलऍम” के नाम से भी जानते है यानि की “रिप्पल और स्टेलर” का जनक एक ही है । रिप्पल”ओपन सोर्स प्रोटोकॉल” तकनीक पर आधारित एक क्रिप्टो मुद्रा है जो एक शक्तिशाली समहू द्वारा संचालित है अगर बात करें तो इस लेख के लिखे जाने तक रिप्पल बिटकॉइन के बाद तीसरा सबसे बड़ा कॉइन है कॉइन मार्किट कैपिटल के हिसाब से।
रिप्पल का मुख्य उद्देश्य पूरी दुनिया मे पैसे को एक देश से दूसरे देश मे भेजने के लिए एक ऐसी व्यवस्था देना है जो कुछ सेकेण्ड मे सुरक्षित रूप से बहुत कम चार्ज मे पैसे को एक जगह से दूसरी जगह भेज सके । यह काम अभी बैंको के द्वारा “स्विफ्ट” तकनीक से होता है जो बहुत धीमा है और ज्यादा खर्चीला भी।रिपल्ल को इस तकनीक को बनाने के लिए 2014 मे दुनिया की 50 स्मार्ट कंपनियों मे जगह मिल चुकी है। आज रिप्पल नेट का इस्तेमाल दुनिया के कई देश करते है और बहुत से बैंक इस पर भरोसा करते है क्योंकि इस से बैंक अपने ग्राहकों को ज्यादा बेहतर सेवा दे पा रहे है । रिप्पल कॉइन कई बार दुनिया के दूसरे नंबर की क्रिप्टो मुद्रा एथेरियम को नंबर गेम मे पीछे छोड़ चूका है।
रिप्पल के ऊपर गलत तरीके से अपने कॉइन को बेचने के मामले मे आपराधिक मामले भी हो चुके हैं जहां इसे अंतहिन आईसीओ कहा गया है।
रिप्पल नेट और रिप्पल कॉइन मे बहुत बड़ा फर्क है , जहां एक्सआरपी एक क्रिप्टो मुद्रा है जो क्रिप्टो मार्किट मे उपलब्ध है और इसमें काफी बड़े उतारा चढाव होते है वही रिप्पल नेट पैसा को एक देश से दूसरे देश मे सुरक्षित और तेज गति से भेजने का एक माद्यम है। रिप्पल नेट का उपयोग अब बहुत सारी वो कंपनिया भी कर रही है जिनकी शाखाये विदेशो मे भी फैली है वो इस माद्यम से न केवल अपने ग्राहकों को तेज पेमेंट कर रही है बल्कि अपने कर्मचारियों को तनख्वा भी इसी माध्यम से दे रहे हैं।
एक रोचक बात यह है कि कुछ समय पहले जेड मैक्लेब जो रिप्पल के जनक भी है जो अब स्टेलर बना कर उसके ऊपर काम कर रहे हैं उनके एक्सआरपी अकाउंट मे 40 मिलियन एसआरपी टोकन अनजाने अकाउंट से भेजे गए। माना यह जा रहा है कि यह रिप्पल और स्टेलर के बीच एक समझौता है क्योंकि स्टेलर भी पेमेंट ट्रांसफर की उसी तकनीक पर काम कर रहा है जिस पर रिप्पल और क्योंकि जेड मैक्लेब रिप्पल के संस्थापक रह चुके हैं तो वो स्टेलर से रिप्पल को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। हल ही मे स्टेलर ने आईबीऍम और क्लिकेक्स के साथ क्रॉस बॉर्डर पेमेंट भेजने का करार किया है जो एक बहुत बड़ा अनुबंध है। इस योजना को आईबीऍम ने कई बड़े बैंको के साथ मिल के बनाया है इसके बाद स्टेलर कॉइन मे 20 का जम्प देखा गया था ।
रिप्पल को सिर्फ स्टेलर ही नही अब जेपीएम कॉइन जो की जे.पी मॉर्गन की कंपनी है और दुनिया का सबसे बड़ा बैंक भी है उस से भी खतरा है। हालांकि जेपीएम कॉइन न तो क्रिप्टो मुद्रा है और न ही यह आम जनता के लिए उपलब्ध होगा लेकिन यह भी “रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट पेमेंट सिस्टम” पर काम कर रहा है और इसके पीछे जेपी मॉर्गन बैंक का हाथ है तो रिप्पल को इस से कुछ फर्क तो पड़ेगा ही।
बदलाव संसार का नियम है और जरुरत अविष्कार को जन्म देती है और यह व्यपार की होड़ है जहां सबसे बेहतर ही टिका रहेगा अब यह समय बतायेगा की इस “रियल टाइम ग्रॉस पेमेंट सेटलमेंट सिस्टम” का बादशाह को होगा रिप्पल,स्टेलर या जेपीऍम ।

 

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