19 जुलाई 2022 मंगलवार (क्रिप्टो न्यूज़ हिंदी)

ऐसा लगता है कि सरकार और रिज़र्व बैंक का आपस में कोई तालमेल ही नहीं है। रिज़र्व बैंक कह रहा है कि क्रिप्टो पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए क्योंकि इस से देश की अर्थव्यवस्था और मुद्रा को खतरा है। सरकार का कहना है कि विदेशी निवेशकों के कारण रूपये की कीमत नीचे गिर रही है और क्रिप्टो पर प्रतिबन्ध लगाना संभव नहीं है जब तक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग न मिले। अब सोचने वाली बात यह है कि रूपये को किस से ज्यादा खतरा है, विदेशी निवेशकों से या क्रिप्टो से ?

भारत सरकार की दोगली बातें।
कुछ समय पहले तक भारत सरकार अपनी विदेश निति का गुणगान कर रही थी और बड़े गर्व से फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) के बढ़ने को अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर दिखा रही थी। अब जब निवेशक इस निवेश को निकाल रहा है तो सरकार कह रही है कि विदेशी निवेशकों के निवेश निकालने से रूपये की कीमत में गिरावट आ रही है! क्या इसके लिए सीधे तौर पर भारत सरकार और उनकी गलत नीतियां जिम्मेदार नहीं है ? अपने देश के उद्योगों के लिए सरकार को खुद अपने देश के निवेशक या बैंक द्वारा कर्ज उपलब्ध करवाना चाहिए। ऐसा करने से जहां पर देश का पैसा देश में रहेगा वहीं देश के निवेशक और बैंक को फायदा होगा। लेकिन सरकार भी जानती है कि भारतीय बैंकों की हालत क्या है? विदेशी निवेशक को हमारे देश या यहाँ के उद्योग से कोई लेनादेना नहीं है, उन्हें अपने मुनाफे से मतलब है। आज जब उनका अपना देश निवेश पर बेहतर मुनाफा दे रहा है तो वह भारत से अपना पैसा निकाल रहे हैं और भारतीय रूपये ने रिकॉर्ड 80 रूपये प्रति डॉलर को छू लिया है।

कुछ बुद्धिजीवी यह कह रहे हैं कि रुपया डॉलर के आगे चाहे नीचे गिर रहा है लेकिन बाकि देशों की मुद्रा के मुकाबले मजबूत हो रहा है। इन्हें यह समझना चाहिए कि पूरी दुनिया का व्यापार डॉलर पर आधारित है न कि छोटे देशों की बाकि मुद्रा पर। हमें नेपाल, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान से अपने देश की मुद्रा की तुलना नहीं करनी चाहिए क्योंकि हमारा आयात और निर्यात इन देशों के साथ न के बराबर है।

रिज़र्व बैंक की क्रिप्टो से क्या समस्या है ?
अगर किसी को लगता है कि क्रिप्टो से देश की अर्थव्यवस्था या रूपये को खतरा है तो वह सिर्फ रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया है। यहाँ तक कि कभी भारत सरकार ने भी यह नहीं कहा कि क्रिप्टो से देश कि मुद्रा को खतरा है। रिज़र्व बैंक और इनके अधिकारियों के दिल में आज भी सर्वोच्च न्यायालय में अपनी हार के जख्म हरे हैं! आज तक रिज़र्व बैंक इतनी बुरी तरह से कभी भी नहीं हारा होगा और शर्मिंदा हुआ होगा। इस एक कारण से रिज़र्व बैंक लगातार क्रिप्टो पर पूर्ण प्रतिबन्ध की बात कर रहा है। आज निवेशक को क्रिप्टो में ज्यादा मुनाफा हो रहा है और निवेशक अपने पैसे को बैंक में रखने या निवेश करने से कहीं ज्यादा क्रिप्टो में निवेश करना ज्यादा सही समझता है। इस कारण बैंक के पास पैसे की कमी हो रही है। अब बैंक अपनी सेवाओं को और बेहतर करने की जगह क्रिप्टो को अपने देश की मुद्रा के लिए खतरा बता कर प्रतिबन्ध की बात कर रहा है जबकि नकली मुद्रा से देश को ज्यादा खतरा है। जो लोग कई सौ करोड़ का कॅश धन दबा कर बैठे हैं, इस से देश की मुद्रा को ज्यादा खतरा है।

जिस तरह से भारतीय रुपये की कीमत में गिरावट आ रही है, उसे देखते हुए लग रहा है कि जल्द ही भारत सरकार को पांच हज़ार और दस हज़ार का नोट भी निकलना पड़ेगा। डॉलर 100 से बड़ा नोट नहीं छपता क्योंकि यह मजबूत मुद्रा है, जिस देश में जितना बड़ा नोट होगा वह उस देश मुद्रा की उतनी बड़ी कमजोरी को दर्शाता है। इंडोनेशिया और अफगानिस्तान की मुद्रा का उदहारण हमारे सामने है।

भारत सरकार को क्या सहयोग देगा विश्व समुदाय ?
कल जब संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ तब पहले ही दिन क्रिप्टो के बारे में देश की संसद में इस बारे में चर्चा होना इस मुद्दे की गंभीरता को दिखाता है। सरकार से जो प्रश्न पूछे गए इसी के उत्तर देते हुए वित्तीय मंत्री ने यह कहा कि “रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया क्रिप्टो पर पूर्ण प्रतिबन्ध चाहता है क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था और मुद्रा के लिए खतरा है”। इसके साथ ही वित्तीय मंत्री ने यह भी कहा कि “क्रिप्टो किसी देश की सीमा तक सीमित नहीं है इस लिए इस पर प्रतिबन्ध के लिए विश्व समुदाय की जरुरत है”। अब देखने वाली बात यह है कि विश्व के जिन देशों की बात भारत कर रहा है वह सभी देश क्रिप्टो को अपने देश में अपना रहे हैं। अगर हम रूस की बात करें तो यहां पर विदेशी लेनदेन के लिए या तो उनके देश की मुद्रा को देना पड़ता है या क्रिप्टो द्वारा भुगतान की बात की जा रही है। रूस क्रिप्टो को ले कर अपना सकारात्मक रुख दिखा चूका है। अमेरिका में भी क्रिप्टो को ले कर अपने नियम व कानून है लेकिन वहां भी दूर दूर तक प्रतिबन्ध की बात नहीं हो सकती। योरोप में भी क्रिप्टो को बहुत ही सकारात्मक तरीके से लिया जा रहा है। स्विट्ज़रलैंड तो क्रिप्टो का स्वर्ग कहा जाता है जहां पर क्रिप्टो प्रोजेक्ट को सरकार का सहयोग मिलता है। सिंगापुर भी क्रिप्टो को अपने देश में अपना चूका है।

भारत के एक और सबसे घनिष्ट मित्र दुबई भी क्रिप्टो को अपने देश का हिस्सा मान चूका है और अपने देश में क्रिप्टो हब बनाने के लिए काम कर रहा है। आज भारत के बहुत सारे क्रिप्टो प्रोजेक्ट दुनबी में पंजीकृत हो चुके हैं। आज ही दुबई सरकार के प्रिंस ने कहा है कि उनके देश में एक हज़ार से ज्यादा मेटावर्स और ब्लॉकचेन के प्रोजेक्ट काम कर रहे हैं और इस से दुबई को 500 मिलियन डॉलर का फायदा होगा। आज दुबई के प्रिंस अपने देश में मेटावर्स के लिए अपनी नीतियां लाने वाले हैं और उम्मीद हैं कि इस से दुबई में क्रिप्टो के प्रोजेक्ट को अच्छा वातावरण मिलेगा।

अब भारत सरकार इस से यह उम्मीद रखती है कि वह क्रिप्टो पर प्रतिबन्ध लगाने में उसका सहयोग करेगा ? अगर भारत सरकार अपने दुश्मन देश चीन से इस मामले में मदद चाहता है तो वहां से सम्भवता भारत को यह सहयोग मिल जाए।

ऐसा नहीं है कि भारत सरकार को कोई यह नहीं समझा रहा है कि क्रिप्टो से देश को क्या क्या फायदा हो सकता है ? बहुजन समाज पार्टी के MP श्री रितेश पांडेय जी ने पिछले संसद सत्र में सरकार द्वारा लगाए गए 1% टीडीएस के नुकसान से सरकार को अवगत करवाया था। हल क्रिप्टो न्यूज़ हिंदी के एक ट्वीट का जवाब देते हुए रितेश जी ने आश्वस्त किया है कि वह भविष्य में भी इस मुद्दे को सरकार के सामने रखते रहेंगे।

भारत सरकार क्रिप्टो के बारे में बहुत देर कर रही है और अपने मुनाफे को पडोसी देशों को दे रही है। आज भारत में मैटिक जैसा ब्लॉकचेन का प्रोजेक्ट है जिसका दुनिया भर में नाम है। लेयर वन का प्रोजेक्ट shardeum है जो आने वाले समय में शायद क्रिप्टो कि दुनिया में सबसे बेहतर लेयर 1 ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट हो, यह प्रोजेक्ट भी स्विटरज़लैंड में पंजीकृत हो गया है। इस एक प्रोजेक्ट से ही भारत का क्रिप्टो और ब्लॉकचेन में जो नाम हो सकता है वह शायद सरकार को अभी नहीं दिख रहा है।

निश्चल शेट्टी (सह-संस्थापक Shardeum)

एथेरियम पुश नोटिफिकेशन जैसा 100% भारत में बना प्रोजेक्ट भी आज दुनिया भर में जो नाम कमा रहा है उसका फायदा भी भारत उठा सकता है अगर सही समय पर सही निर्णय लिया जाए। EPNS प्रोजेक्ट को अगर भारत सरकार देखे तो यह सरकार के लिए भी बहुत फायदा दे सकता है और काफी हद तक बैंक और बाकि सरकारी विभाग भी नोटिफिकेशन के लिए इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। कमी हैं सरकार द्वारा क्रिप्टो और ब्लॉकचेन को मात्र एक निवेश की वस्तु समझना। अगर क्रिप्टो और ब्लॉकचेन को सरकार समझे तो FDI के लिए विदेशी निवेशकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और साथ ही रुपये की कीमत को बेहतर बनाने में भी क्रिप्टो मददगार ही साबित होगी।

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