26 दिसंबर 2021 रविवार (क्रिप्टो न्यूज़ हिन्दी)

एक बार फिर क्रिप्टो पर बिल लाने की बातों पर विराम लग गया। सरकार का शीतकालीन सत्र 25 दिसंबर को खत्म हो गया और क्रिप्टो बिल का इंतज़ार करने वाले क्रिप्टो समुदाय को फिर एक बार धोखा मिला। धोखा इस लिए कहेंगे क्योंकि इस बार क्रिप्टो के बिल को ले कर सरकार ने बहुत तैयारी की थी। इस बार खुद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में दो बार क्रिप्टो के मुद्दे को ले कर अधिकारियों और मंत्रियो के साथ मीटिंग हुई थी। वित्तीय मंत्री ने भी बार-बार यह कहा कि क्रिप्टो बिल पूरी तरह से तैयार है और बिल इस सत्र में संसद में पेश कर दिया जाएगा। विपक्ष के कई मंत्रियो ने सरकार से क्रिप्टो के बारे में प्रश्न भी पूछे लेकिन हुआ क्या ? क्या क्रिप्टो बिल आया ? क्या क्रिप्टो बिल तैयार था ? क्या कारण है सरकार के क्रिप्टो पर बिल न ले कर आने के ?

मीडिया के वह लोग कहां है जो चिला चिला कर यह कह रहे थे की इस बार तो सरकार क्रिप्टो पर बिल ले ही आएगी और क्रिप्टो पर बैन लगेगा ? मीडिया को यह बताना चाहिए की सरकार के वह कौन से अधिकारी या मंत्री हैं जिन्होंने यह खबर मीडिया को दी थी की क्रिप्टो लेनदेन करने वालो को जेल होगी ? मीडिया की इसी रिपोर्टिंग के कारण भारतीय क्रिप्टो एक्सचैंजेस पर क्रिप्टो की कीमतों में बड़ी गिरावट आई और डर के कारण लोगों ने अपनी क्रिप्टो को नीचे की कीमतों पर बेचा जिस से उनका बड़ा नुकसान हुआ।

क्यों नहीं आया क्रिप्टो बिल ?
2021 में सरकार के मंत्रियों ने कई बार मीडिया के सामने आ कर यह कहा कि क्रिप्टो बिल तैयार है और वह इस शीतकालीन सत्र में यह बिल ले कर आ रहे हैं। इस बिल में सभी तरह की निजी क्रिप्टो पर रोक और रिज़र्व बैंक कि अपनी डिजिटल करंसी लाने के लिए भी कहा गया था जो दिसंबर 2021 तक ट्रायल के तौर पर आ जाएगी। इतनी तैयारी के बाद भी क्रिप्टो बिल क्यों नहीं आया?

विपक्ष के पास इस बार सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा था जहां पर बंगलौर के एक हैकर ने यह आरोप लगाए थे कि उसके द्वारा हैक किए गए करीब 2000 बिटकॉइन को सरकार के एक बड़े मंत्री और सरकारी विभाग के कुछ लोगों ने ले लिए। करीब 1200 बिटकॉइन मंत्री और सरकारी अधिकारियों के द्वारा जबरन लेने कि बात सामने आई थी और इसके बाद राहुल गाँधी ने इस बारे में एक ट्वीट भी किया था जिसमें लिखा था बिटकॉइन स्कैम बड़ा है लेकिन इसे छुपाना इस से बड़ा स्कैम है। सरकार यह जानती थी कि विपक्ष इस मुद्दे को सदन में उछालेगा और इसी बात को ढकने के लिए क्रिप्टो बिल लाने की बातें की गई और जब यह मुद्दा ठंडा पड़ गया तो बिल को किनारे कर दिया गया।

दूसरी बात यह है की सरकार जानती है कि इस समय क्रिप्टो के अन्दर करीब 10 करोड़ लोग हैं। यह सभी युवा और पढ़े लिखें हैं और साथ ही यह 18 वर्ष से ऊपर के हैं यानि वोट बैंक है। भारत में इस समय चुनावों का माहौल है और सरकार इस समय में किसी को भी नाराज नहीं करना चाहती खास कर 10 करोड़ वोट बैंक को। अगर सरकार क्रिप्टो के विषय में कोई ऐसा निर्णय ले लेती जो क्रिप्टो समुदाय के पक्ष में नहीं होता तो इसका असर चुनाव के नतीजों पर पड़ना ही था, शयद इस लिए भी क्रिप्टो बिल को इस बार नहीं लाया गया।

क्या सरकार की तैयारी पूरी नहीं थी ?
सबसे बड़ी बात यह है की सरकार 2019 से क्रिप्टो के विषय में कानून बनाने की बातें कर रही है लेकिन अभी तक सरकार इस विषय में कुछ ठोस कर नहीं पायी। सरकार के पास क्रिप्टो को समझने वाले अधिकारियों और विशेषज्ञों की कमी है। सरकार के पास क्रिप्टो को ट्रैक करने , इसे समझने, इस पर टैक्स लगाने और क्रिप्टो के बारे में सही दिशा निर्देश बनाने के लिए अभी पूरी समझदारी वाला तंत्र ही नहीं है। रिज़र्व बैंक ने बिना सोचे समझे क्रिप्टो के लिए बैंक की सुविधाएं रोकी और फिर कोर्ट में हार झेलनी पड़ी। इस बात से शयद सरकार ने सबक लिया और जल्दबाज़ी न करते हुए क्रिप्टो बिल को बनाने में जल्दबाज़ी नहीं की। लेकिन 2021 में सरकार के मंत्रियों ने कई बार कहा की क्रिप्टो के विषय में सरकार खुले दिमाग से सोच रही है। सरकार के मुख्य मुद्दे थे क्रिप्टो की कीमत में बड़े उतार चढ़ाव के कारण जनता के पैसे का नुकसान और क्रिप्टो से आतंकवाद को फंडिंग। अगर हम इन दोनों बातों को देखें तो शयद सरकार खुद भी यह जानती है कि इस बात में कोई सचाई नहीं है। अगर सरकार को सच में यह लगता है कि क्रिप्टो से आतंकवाद को फंडिंग करना आसान है और क्रिप्टो निवेश से लोगों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है तो सरकार क्रिप्टो को बहुत पहले बंद कर चुकी होती।

पिछले दिनों उतर प्रदेश के एक व्यापारी के घर से अभी तक करीब 250 करोड़ से ज्यादा का भारतीय रूपया मिला है। इतना पैसा कैसे इकठ्ठा हो गया ? यह काला धन ही तो है जिसका सरकार को जवाब देना चाहिए। नोट बंदी से क्या फायदा हुआ और अब फिर नोटबंदी होगी क्या ?

सरकार किसी भी समस्या कि जड़ में नहीं जाती और यही कारण है कि देश का आर्थिक तानाबाना बहुत कमजोर है। भारत के पडोसी देश लगातार भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। पंजाब के लुधियाना में हुआ बम धमाका भारतीय सुरक्षा तंत्र पर बड़े सवाल खड़े करता है। पुलिस की मिलीभगत और जेल से फ़ोन पर पाकिस्तान कॉल होना यह दिखाता है कि सरकार को अभी बहुत बड़े विषयों पर काम करना बाकि है। अगले महीने पडोसी देश नेपाल के प्रधानमंत्री भारत दौरे पर आ रहे हैं। नेपाल की सीमाएं भारत के लिए अपराध और आर्थिक दृष्टि से भी बहुत खतरनाक है। भारत नेपाल सीमा की सुरक्षा में बड़ी खामिया हैं। नेपाल बॉर्डर पर किसी भी तरह की कोई सुरक्षा नहीं हैं।  यहाँ से कोई भी आतंकी भारत में आराम से आ सकता है और भारत में आतंक फैला कर वापिस भी जा सकता है। भारत से कॅश रुपए को नेपाल ले जाया जा सकता है और यह सुरक्षा की बड़ी चूक है। नेपाल में करीब 28 बैंक है जहां पर भारतीयों का अनगिनत पैसा पड़ा है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

क्रिप्टो पर भारतीय क्रिप्टो एक्सचैंजेस अपने खुद के कड़े नियम बना कर रेगुलेशन कर कर रही हैं। काफी सख्त KYC के नियम बनाए जा रहे हैं। क्रिप्टो से सम्बंधित बहुत कम शिकायतें पुलिस या सरकार को मिलती हैं। अभी तक किसी भी आतंकी घटना में क्रिप्टो के इस्तेमाल की बात सामने नहीं आई है। सरकार को क्रिप्टो के विषय में और समय लेना चाहिए और पूरी समझ के साथ ही क्रिप्टो पर कोई बिल लाना चाहिए। मीडिया से हमें कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह दूसरों का पागल बना कर ही अपनी जीविका कमाते हैं। मीडिया को कोई फर्क नहीं पड़ता किसी के नुकसान से।

क्रिप्टो समुदाय को खुद को मजबूत बनाना चाहिए। अच्छी और सही जानकारी समुदाय तक पहुंचानी चाहिए और उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार पूरी सोच समझ के साथ जल्द ही क्रिप्टो पर सही नियम बनाएगी। 2022 एक नई उम्मीद ले कर आ रहा है।
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