13 दिसंबर 2022 मंगलवार (क्रिप्टो न्यूज़ हिंदी)

FTX एक्सचेंज के फैल होने के बाद निवेशकों का एक्सचेंज पर संदेह कोई बड़ी बात नहीं है। FTX निवेशकों के पैसे से ही खेल रही थी और निवेशकों के पैसे को दूसरी कंपनियों को दे रही थी। FTX के फैल होने के बाद यह बात समझी जा रही थी की क्रिप्टो एक्सचेंजस निवेशकों की क्रिप्टो का इस्तेमाल करती है। क्योंकि सोशल मीडिया पर यह मुद्दा काफी बड़ा बन गया था और लोग क्रिप्टो एक्सचेंज और इनके निवेशकों से लगतार अपने फण्ड की सुरक्षा के बारे में पूछ रहे थे। ऐसे में क्रिप्टो एक्सचेंज बिनांस के संस्थापक CZ ने प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व की बात कही। प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व का मतलब यह है कि एक्सचेंज अपने द्वारा होल्ड की जनता की क्रिप्टो को सार्वजनिक करे और अपने वॉलेट एड्रेस भी सार्वजनिक करे। यह सब इस लिए ताकि यह पता चल सके की असल में एक्सचेंज ने निवेशकों की क्रिप्टो को सही तरह से अपने पास हॉल्ड किया हुआ है।

क्योंकि प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व की बात बिनांस ने शुरू की थी तो ज़ाहिर है वही सबसे पहले अपने फण्ड को सार्वजनिक करने वाली थी और वह पहले से ही इसकी तैयारी भी कर चुके थे। ऐसा हुआ भी और एक्सचेंज ने बताया कि 10 नवम्बर 2022 तक उनकी एक्सचेंज पर 475,000 बिटकॉइन, 4.8 मिलियन ईथर, 17.6 बिलियन USDT, 601 मिलियन USDC, 58 मिलियन BNB और 21.7 बिलियन BUSD रखा हुआ है। एक्सचेंज ने यह प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व आंतरिक ऑडिट के बाद पब्लिश किया था। बिनांस ने जो थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट दी है उसमें काफी संदेह है। चार साल के मर्केल ट्री को इतनी जल्दी सत्यपित करना बहुत मुश्किल है। साथ ही थर्ड पार्टी ऑडिट में बडी मात्रा में बिटकॉइन होल्डिंग की अनियमितता का पता चला।

प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व के दौरान बड़ी ट्रांजक्शन ??
10 नवम्बर के दिन बिनांस ने निजी ऑडिट करने के बाद अपने प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व को पब्लिक किया। इसके बाद थर्ड पार्टी ऑडिट के दौरान बिनांस के कोल्ड वॉलेट से 1,27,351 बिटकॉइन को किसी दूसरे वॉलेट पर भेजा गया।

इस के दस दिन पहले भी इतनी ही मात्रा में बिटकॉइन को एक्सचेंज के एक एड्रेस पर भेजा गया था। जब इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर आई तो CZ ने ट्वीट कर के यह सफाई दी कि यह प्रूफ और रिज़र्व ऑडिट के लिए किया गया है। ऑडिटर ने कहा है कि एक निश्चित मात्रा में बिटकॉइन को एक जगह से दूसरी जगह भेजिए ताकि हम यह देख सकें कि यह आपके नियंत्रण में है। और बाकि बदले हुए पते पर गया जो नया एड्रेस था। इस लिए इनपुट ट्रांजक्शन बड़ी थी, इस लिए यह बदली गई। अब यहां समझने वाली बात यह है कि कोई ऑडिट फर्म इतनी बडी ट्रांजक्शन करने के लिए क्यों कहेगी? यह बात तो छोटी ट्रांजक्शन से भी पता चल सकती है कि आप किसी वॉलेट को हॉल्ड कर रहे हो या नहीं।

इसे साथ ही CZ ने एक और ट्वीट के माद्यम से यह बताना चाहा कि अगले कुछ घंटे और दिन कोल्ड वॉलेट से बड़ी ट्रांजक्शन हो सकती है इस लिए व्हले अलर्ट न दे। लेकिन इस बात से यह साफ़ हो गया कि एक्सचेंज जब चाहे तब निवेशकों के फण्ड को इधर से उधर कर सकती है।

यहाँ पर एक बड़ा सवाल यह भी है कि इतनी बड़ी मात्रा में एक्सचेंज पर बिटकॉइन रखने का क्या कारण है? इतनी बड़ी संख्या में बिटकॉइन रिटेल निवेशकों का तो हो नहीं सकता। बड़े निवेशक क्यों अपना बिटकॉइन एक्सचेंज पर रखे हुए हैं?

प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व से क्या होगा ?
अब बात है कि अगर एक्सचेंज आपको प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व दिखा भी दे तो यह कितना मुश्किल है ? ऐसा नहीं है कि बिनांस ने ही अपने प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व को जारी किया है बल्कि कई एक्सचेंजस ऐसा कर चुकी हैं। समस्या यह है कि प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व पारदर्शी नहीं है। 10 नवम्बर के दिन बिनांस अपना प्रूफ और रिज़र्व जारी करती है और इसके तीन दिन बाद क्रिप्टो डॉट कॉम एक्सचेंज गलती से 3,20,000 ईथर गेट डॉट io को भेज दिए। इसके कुछ समय बाद गेट डॉट io ने यह ईथर वापिस क्रिप्टो डॉट कॉम एक्सचेंज को भेज दिए।

यहाँ पर समझने वाली बात यह है कि जब इतनी बड़ी मात्रा में ईथर का विड्राल दिया जा रहा था तो इसकी कई बार जांचा होनी चाहिए थी ? विड्राल दिया तो किसी ने इस विड्राल के लिए रिक्वेस्ट डाली होगी? क्या यह विड्राल देने से पहले एक्सचेंज ने यह जाँच नहीं की कि जिस अकाउंट से यह विड्राल किया गया उसमें इतनी क्रिप्टो है भी या नहीं ? अगर एक्सचेंज अपने आप यह ईथर ट्रांसफर कर रही थी तो उनके पास दूसरी एक्सचेंज का एड्रेस कैसे आया ? क्या इतना बड़ा विड्राल देने के लिए मात्र एक व्यक्ति ने इजाजत दे दी ? इसके बारे में क्रिप्टो डॉट कॉम के सीईओ ने एक ट्वीट के द्वारा जानकारी तो दी लेकिन इस पर विश्वास करना बहुत मुश्किल है।

संक्षेप में कहें तो यह सब निवेशकों को भटकाने के लिए ही किया जा रहा है।

भारतीय एक्सचेंज का प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व कितना सही ?
जब सारा क्रिप्टो समुदाय प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व कि बात कर रहा है तो भारत कैसे पीछे रह सकता है। यहाँ भी एक्सचेंजस से प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व की मांग की जाने लगी। coindcx अपने प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व और वॉलेट को शेयर कर चुके हैं। wazirx ने एक ट्वीट से यह जानकारी दी है कि वह जल्द ही प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व की जानकारी देंगे। कॉइन स्विच कुबेर ने जो जानकारी दी है वह अधूरी, न तो इसमें कोल्ड वॉलेट को सार्वजिनक किया गया है, न ही मर्केल ट्री द्वारा लेनदेन को देखा जा सकता है बस एक्सचेंज ने यह कह दिया है कि हमारे पास निवेशकों की क्रिप्टो से ज्यादा फंड रखा है। बस हो गया कुबेर का प्रूफ ऑफ रिज़र्व। भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज पिछले काफी समय से क्रिप्टो का विड्राल भी नहीं दे रही है। कई भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज इस समय सरकारी जाँच के दायरे में है।

अगर भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज अपने रिज़र्व का प्रूफ सार्वजनिक करेंगे भी तो यह अधूरा होगा। थर्ड पार्टी ऑडिट शायद ही कोई भारतीय एक्सचेंज करवा पाए और अगर ऐसा होगा भी तो उसमें भी बहुत संदेह होगा। इस समय भारतीय एक्सचेंज से सिर्फ भारतीय रुपये को निकला जा सकता है किसी क्रिप्टो को नहीं। ऐसे में अगर एक्सचेंज रिज़र्व फण्ड दिखा भी दे तो उसका कोई मतलब नहीं होगा। कई एक्सचेंज का लेनदेन अभी भी सरकारी विभागों द्वारा जाँच दे दायरे में है और ऐसे में यह जानकारी सार्वजनिक करना एक्सचेंज के लिए आसान नहीं होगा और शायद इसके लिए कुछ एक्सचेंजस को सरकारी विभाग की इजाजत भी लेनी पडे।

प्रूफ और रिज़र्व एक शगूफा है जिसे बिनांस ने शुरू किया है। कोल्ड वॉलेट में किसका फण्ड है, कैसे आया और एक्सचेंज ने इसे कब कब और कहा कहा भेजा और इसका इस्तेमाल किया या नहीं यह सारी बातें केंद्रीय एक्सचेंज के लिए छुपाना बहुत आसान है। एक बार वॉलेट सार्वजनिक करने के बाद बिनांस ने ही बड़ी मात्रा में क्रिप्टो को एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट पर भेजा है। ट्रोन के संस्थापक जस्टिन ने आज ही 100 मिलियन USD को बिनांस पर भेजा है।

FTX के समय में भी जस्टिन की गतिविधिया संदेह पैदा करती हैं जब वह बड़ी मात्रा में क्रिप्टो को अपने अकाउंट से FTX और बाकि एक्सचेंज पर भेज रहे थे। आज कुछ बड़े लोगों द्वारा किसी भी एक्सचेंज को बड़ा फण्ड दे कर उनका प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व दिखने में मदद करना कोई बड़ी बात नहीं है।

FTX के डूबने का कारण उनके संस्थापकों की गलत नीतियां तो है ही, साथ ही CZ और बिनांस का भी इसमें बड़ा हाथ रहा है। कोई भी क्रिप्टो होल्डर यह बता कर किसी होल्डिंग को नहीं बेचता की उन्होंने काफी लम्बे समय से इसे होल्ड किया हुआ था। CZ ने सोच समझ कर ऐसा किया और ट्विटर पर यह जानकारी सार्वजनिक की कि एक्सचेंज अपनी FTT होल्डिंग को बेच रही है। इतनी बडी मात्रा में किसी क्रिप्टो की बिकवाली बाजार में कीमत गिरने का कारण बन ही जाती है और ऐसा हुआ भी। इसी दौरान FTX को खरीदने की बात CZ ने ट्विटर पर शेयर की और इसके बाद FTT टोकन की कीमत 15 डॉलर से एक दम 22 डॉलर पर आ गई। इस दौरान लगभग सभी FTT को शार्ट किये हुए थे और ज्यादातर पोजीशन लिक्विडेट हुई। कुछ ही समय में जब अमेरिकन सरकारी विभागों ने CZ द्वारा FTX को खरीदने की जाँच की बात की तो CZ अपनी बात से पीछे हट गए और इसके बाद FTT को ले कर जो लोग लॉन्ग पोजीशन में थे वह कीमत गिरते ही फिर लिक्विडेट हो गए। इस दौरान एक्सचेंज ने कितना पैसा बनाया यह जाँच का विषय है ? ऐसे में अपने प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व को दिखाना बिनांस के लिए कोई मुश्किल बात नहीं है। अभी तक बिनांस ने सही तरह से अपने लेनदेन मुनाफे और नुकसान का ब्यौरा नहीं दिया है। अगर सही तरह से एक्सचेंज की जाँच होगी तो यहाँ कई सारी अनियमित लेनदेन की बात सामने आएगी।

हो सकता है कुछ समय के लिए निवेशक प्रूफ और रिज़र्व की जानकारी देख कर खुश हो जाएं लेकिन इसके पीछे का गणित बहुत ख़राब है। एक्सचेंज के अपने स्टेबल कॉइन बाजार से छेड़छाड़ करने के लिए काफी हैं। बिनांस के पास 21% से अधिक का रिज़र्व फण्ड तो सिर्फ उनके अपने स्टेबल कॉइन BUSD में है। कुछ समय पहले ही बिनांस ने जानकारी दी है कि वह वह USDC का विड्राल बंद कर रहे हैं क्योंकि USDC का टोकन स्वैप किया जा रहा है।

अगर अभी की स्थितियों को देखें तो क्रिप्टो बाजार एक बुरे दौर से गुजर रहा है जहां पर बड़े प्लेयर निवेशकों के साथ खेल रहे हैं और प्रूफ ऑफ़ रिज़र्व दिखा कर अपने निवेशकों को अपने साथ रखने के कोशिश कर रहे हैं। देखना यह है कि इस खेल के पीछे का सच जब सामने आएगा तो क्या-क्या पता चलेगा?Visit us – www.cryptonewshindi.com
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