11 फरवरी 2023 शनिवार (क्रिप्टो न्यूज़ हिंदी)

भारतीय क्रिप्टो यूजर के लिए आज की सबसे बड़ी पहेली यह है कि “वज़ीरएक्स का मालिक कौन है?” इस बारे में अगर पिछले सारे रिकॉर्ड देखें तो यहाँ पर सबसे ज्यादा संदेह बिनांस पर ही होता है। बिनांस के बयान और समय समय पर वज़ीरएक्स के प्रति अव्यावसायिक कदम यह दिखते हैं कि बिनांस के कहने और करने में बहुत फर्क है।

21 नवम्बर 2019 के दिन बिनांस ने एक ब्लॉग में वज़ीरएक्स का आधिकारिक तौर पर अधिग्रहण करने के बात कही थी। इस ब्लॉग को बिनांस ने 5 अगस्त 2022 यानि तीन साल के बाद अपडेट कर दिया जो यह साफ दिखाता है कि बिनांस अपनी कही बात से पीछे हट रहा है। इस आर्टिकल में बिनांस लिखता है “ग्लोबल क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज और ब्लॉकचेन इकोसिस्टम ‘बिनांस’ आज वज़ीरएक्स के अधिग्रहण की घोषणा करता है जो भारत की सबसे विश्वसनीय बिटकॉइन एक्सचेंज है। 25 नवम्बर 2019 से आप भारतीय रुपये से क्रिप्टो का लेनदेन बिनांस फ़िएट गेटवे के द्वारा कर सकते हैं”।

इसी आर्टिकल में बिनांस ने यह जानकारी दी थी कि वह अगले वर्ष के पहले तीन महीनों में दोनों एक्सचेंज के बिच इंटेरगेशन करेंगे जिस से बिनांस के यूजर आराम से भारतीय रुपए से क्रिप्टो के लेनदेन कर पाएंगे। इस आर्टिकल में बिनांस के मालिक चांगपिंग ज़हाओ (CZ) ने कहा था “वज़ीरएक्स का अधिग्रहण भारतीय लोगों के प्रति हमारी वचनबद्धता और समर्पण दिखाता है साथ ही भारत में ब्लॉकचेन इकोसिस्टम और अन्य कदम जो मुद्रा की आजादी को प्राप्त करने के लिए हैं। क्या अब CZ इस बयान से पीछे हट रहे हैं की उन्होंने यह कहा था और यह आज भी बिनांस के ब्लॉग पर है ?”

इसके बाद बिनांस ने दोनों एक्सचेंज के बिच एक ऐसा सिस्टम बनाया जहां पर बिना किसी ब्लॉकचेन और नेटवर्क के एक अकाउंट होल्डर अपने बिनांस के अकाउंट से वज़ीरएक्स और वज़ीरएक्स के अकाउंट से बिनांस पर अपनी क्रिप्टो ले जा सकता था बिना किसी फीस और बिना समय लगाए।

WRX की लिस्टिंग
इसके साथ ही बिनांस ने वज़ीरएक्स की बागडोर अपने हाथ में लेते ही WRX टोकन को अपनी एक्सचेंज पर लिस्ट किया। WRX टोकन वज़ीरएक्स एक्सचेंज का टोकन है जिसे शुरू में कई तरह से ट्रेड करने, अकाउंट ओपन करने व एक्सचेंज को प्रमोट करने पर दिया जाता था। खुद वज़ीरएक्स ने कभी WRX को अपनी एक्सचेंज पर लिस्ट नहीं किया जबकि वह ऐसा कभी भी कर सकते थे। बिनांस यह जनता था कि भारतीय क्रिप्टो समुदाय बहुत उत्साही है और WRX लिस्टिंग का फायदा उन्हें मिलेगा। WRX के लिस्ट होने के बाद बिनांस ने कई बार अपनी एक्सचेंज पर इस टोकन के ट्रेडिंग कॉम्पिटिशन भी आयोजित किए।

इस बात में कोई संदेह ही नहीं है कि वज़ीरएक्स के अधिग्रहण के बाद बिनांस ने WRX की सबसे ज्यादा होल्डिंग अपने पास रखी होगी और इसका कुछ हिस्सा वज़ीरएक्स के बाकि भारतीय संस्थापकों निश्चल शेटी, सिद्धार्त मेनोन और समीर म्हात्रे के पास भी था। आज यह टोकन कई एक्सचेंज पर लिस्ट है इस लिए अगर बिनांस इसे अपनी एक्सचेंज से हटा भी दे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कीमत में गिरावट से इंकार नहीं किया जा सकता। अभी इसके निवेशक बडे नुक्सान में है।

वज़ीरएक्स और Zanmai Labs
निश्चल शेटी, सिद्धार्त मेनोन और समीर म्हात्रे ने Zanmai Labs के नाम से एक कंपनी बनाई थी और वज़ीरएक्स इस कंपनी के अंतर्गत ही संचालित की जा रही थी। कुछ समय पहले ही Zettai जो की सिंगापुर की कंपनी है इसने Zanmai Labs का 99 पॉइंट 99 प्रतिशत शेयर ख़रीदा हैं और बाकि जीरो पॉइंट जीरो एक प्रतिशत निश्चल के पास है। बिनांस का कहना है कि उन्होंने कभी भी Zanmai Labs में शेयर नहीं ख़रीदे जो सही भी है लेकिन इस से यह सिद्ध नहीं होता कि वज़ीरएक्स का संचालन बिनांस नहीं कर रहा था। निश्चल ने कई बार यह बात कही है कि क्रिप्टो से क्रिप्टो का लेनदेन बिनांस के ही हाथ में था और इसकी फीस पर भी बिनांस का अधिकार था लेकिन भारतीय रूपये का लेनदेन वज़ीरएक्स की भारतीय टीम के पास था। एक्सचेंज के नियंत्रण के लिए तकनीकी नियंत्रण चाहिए, कंपनी के शेयर न लेने से वज़ीरएक्स पर बिनांस का नियंत्रण न होने की बात गलत है।

5 अगस्त 2022 के दिन CZ ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा – बिनांस ने zanmai labs में कोई शेयर नहीं ख़रीदे हैं, वज़ीरएक्स को इसके संस्थापक ही चला रहे हैं। 21 नवम्बर 2019 को बिनांस ने एक ब्लॉग प्रकाशित किया था वज़ीरएक्स अधिग्रहण का। यह अधिग्रहण कभी पूरा नहीं हुआ।

6 अगस्त 2022 के दिन CZ ने एक ट्वीट किया जिसमे वह लिखते हैं कि “हमने वज़ीरएक्स के सिस्टम और सोर्स कोड,डेवलपमेंट और ऑपरेशन्स को ट्रांसफर करने के लिए इसी साल फरवरी में कहा। यह वज़ीरएक्स द्वारा नकार दिया गया। बिनांस का इनका सिस्टम पर नियंत्रण नहीं है। वज़ीरएक्स हमारे साथ सहयोग नहीं कर रही है और साथ ही लग रहा है वह ED के साथ भी सहयोग नहीं कर रहे हैं। बिनांस ने केवल वॉलेट सुविधा दी थी और ऑफ चेन इंटेरगेशन किया था ताकि नेटवर्क फीस बचाई जा सके। इसके इलावा यूजर के साइनअप, किस, ट्रेडिंग और विड्राल सब वज़ीरएक्स के नियंत्रण में था।” इसके बाद CZ ने यह भी लिखा की वह ED को हर सहयोग देने के लिए तैयार हैं। बात यह हैं की CZ क्या 3 साल से सो रहे थे और ED ने उनकी नींद खोली ? CZ और बिनांस ने 3 साल में कभी क्यों ब्लॉग प्रकाशित करके यह नहीं बताया कि “वज़ीरएक्स का बिनांस द्वारा अधिग्रहण कभी पूरा नहीं हुआ”।

समस्या की शुरुआत ही यहाँ से होती है। बिनांस और CZ ने यह सारी बातें तब बोलना शुरू की जब वज़ीरएक्स की जाँच ED ने करना शुरू की। उसी दिन से CZ ने ट्विटर पर आ कर यह कहना शुरू किया कि हमने वज़ीरएक्स को नहीं ख़रीदा। लेकिन यह 100% झूठ हैं। 2019 के अंत से ही वज़ीरएक्स के ज्यादातर कामों में बिनांस सीधे तौर पर नियंत्रण कर रहा था। 2021 में क्रिप्टो न्यूज़ हिंदी ने कुछ प्रोजेक्ट्स के टोकन को वज़ीरएक्स पर लिस्ट करने के लिए उनकी टीम से संपर्क किया। लिस्टिंग टीम ने बताया कि वज़ीरएक्स पर टोकन लिस्टिंग का काम बिनांस की टीम देखती है इस लिए उनसे संपर्क करना चाहिए। वज़ीरएक्स पर 2020 के बाद लगातार “रेपिट लिस्टिंग” के द्वारा हर महीने कई टोकन लिस्ट होते थे और यह सभी टोकन पहले से ही बिनांस पर लिस्टेड थे।

बिनांस ने वज़ीरएक्स के कर्मचारियों को एप्पल की घड़िया भी उपहार में दी थी। यह बात सही है कि वज़ीरएक्स के कर्मचारियों को जो तनख्वाह दी जाती थी वह निश्चल की एक कम्पनी द्वारा दी जाती थी। किसी भी विदेशी कंपनी को अगर भारत में काम करना है तो उसे भारतीय व्यक्ति को ही डायरेक्टर रखना होता है। हो सकता है बिनांस और वज़ीरएक्स की डील में यह लिखा गया हो की मौजूदा संस्थापक ऐसे ही रहेंगे और कुछ समय बाद बिनांस अपने ऑफिस भारत में शुरू करेगा लेकिन उस से पहले ही भारत में स्तिथियाँ ख़राब हो गई।

6 तारीख को ही CZ ने एक और ट्वीट किया “बुरा है की यह बातें ट्विटर पर हो रही हैं ; बिनांस ने वज़ीरएक्स को वॉलेट सुविधा दी थी। वज़ीरएक्स के डोमेन को हमें दिया गया था। हमें AWS वितरित संचालन दिया गया था। हम वज़ीरएक्स को बंद कर सकते थे, लेकिन हमने नहीं किया, यह यूजर को दुःख पहुंचाता।”

अगर इन सारी बातों को देखें तो हम समझ सकते हैं की 100% न सही लेकिन इतना नियंत्रण बिनांस के पास था की वह वज़ीरएक्स को बंद कर सकते थे। वज़ीरएक्स के सर्वर पर बिनांस का नियंत्रण था तो सारी जानकारी उनके पास पहुंच रही थी। यह ED का डर था जिस कारण CZ ने यह सब सोशल मीडिया पर उगल दिया।

इसके साथ ही निश्चल ने भी ट्वीट किया “आप (बिनांस) वज़ीरएक्स बंद कर सकते थे यह बताता है की आपके पास नियंत्रण था। AWS का मुख्य नियंत्रण आपके पास था, जिसके पास AWS का ROOT नियंत्रण हो वह AWS को नियंत्रित कर सकता है। वज़ीरएक्स का डोमेन आपको ट्रांसफर किया गया था, यह अच्छा है आपने (CZ) मान लिया। अब सिर्फ Zanmai का नियंत्रण है आप यह क्यों नहीं ले रहे?”

 

अगर वज़ीरएक्स ने इतना कुछ नियंत्रण बिनांस को दिया तो कुछ तो डील हुई होगी?

हमने इस बारे में निश्चल से सीधा बात की और पूछा “वज़ीरएक्स का मालिक कौन है” क्योंकि आप सही व्यक्ति हैं जो हमें यह जानकारी सही तरह से दी सकते हैं।”
निश्चल ने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा “वज़ीरएक्स बिनांस द्वारा ख़रीदा गया है। इस बारे में हमारा पक्ष हमेशा साफ रहा है। अदिग्रहण 2020 में हुआ था और दोनों टीम ने इसकी घोषण की थी”।

क्रिप्टो न्यूज़ हिंदी को वज़ीरएक्स के कुछ भूतपूर्व कर्मचारी ने बताया कि वज़ीरएक्स के ज्यादातर निर्णय 2020 के बाद बिनांस द्वारा ही लिए जाते थे। टोकन लिस्टिंग का काम भी बिनांस टीम ही करती थी। वज़ीरएक्स के सर्वर भी बिनांस टीम के नियंत्रण में थे। जो भी यूजर वज़ीर और बिनांस पर एक ईमेल से अकाउंट चला रहे थे उनके KYC सीधेतौर पर बिनांस के पास थी क्योकिं यूजर को दोनों एक्सचेंज पर केवाईसी करनी पडती थी। वज़ीरएक्स के सोशल मीडिया ट्विटर और टेलीग्राम भारतीय टीम चला रही है और अभी भी वही चला रहें हैं। वज़ीरएक्स के सभी ब्लॉग भी भारतीय टीम चला रही है। वज़ीरएक्स के सभी कर्मचारियों के सोशल मीडिया पर लिखा होता था “वज़ीरएक्स एक कंपनी बाइनेंस की”।

अगर आज की बात करें तो बिनांस अब अपनी बात से पीछे हट रही है। बिनांस ने सबसे पहले वज़ीरएक्स से ऑफ चेन लेनदेन को बंद किया क्योंकि उन्हें डर था की ED उनसे भी पूछताछ कर सकती है। पिछले हफ्ते बिनांस ने वज़ीरएक्स को आपने फण्ड बिनांस के वॉलेट से विड्राल करने के लिए कहा। वज़ीर एक्स ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा की “हमारी होल्डिंग इंडस्ट्री के नियमों के अनुसार की गई है। हमने इसे सुरक्षित रखने की प्रक्रिया पहले से की हुई है। निवेशक पहले की ही तरह आपने फण्ड निकाल सकते हैं और ट्रेड कर सकते हैं।”

हमारी जानकारी के अनुसार अभी वज़ीरएक्स का संचालन भारतीय टीम कर रही है ताकि निवेशकों को नुकसान न हो।  भारत में क्रिप्टो का माहौल पहले ही ख़राब है और ऐसे में वज़ीरएक्स को कुछ भी हुआ तो और नकारात्मकता आएगी। ED द्वारा जाँच करने पर वज़ीरएक्स के सह संस्थापक समीर से पूछताछ की गई थी और कुछ अकाउंट को भी बंद किया गया था। जानकारी के अनुसार इसे बाद में खोल दिया गया था। निश्चल ने एक ट्वीट के माध्यम से यह कहा था कि “वज़ीरएक्स पर यूजर का फण्ड सुरक्षित है”।

अभी बिनांस वज़ीरएक्स से पीछे हट चूका है लेकिन भारतीय टीम इसका संचालन कर रही है और फ़िलहाल एक्सचेंज में कोई समस्या नहीं है। क्रिप्टो विड्राल किसी भी भारतीय एक्सचेंज पर नहीं हो रहा है लेकिन भारतीय रूपये को जमा करवा सकते हैं, क्रिप्टो ट्रेड कर सकते हैं और अपनी पैसे को निकल भी सकते हैं।

मालिकाना हक को ले कर एक बात समझी जा सकती है कि इस समय बाइनेंस वज़ीरएक्स का नियंत्रण नहीं कर रही है। अगर कागजों के आधार पर देखें तो वज़ीरएक्स zanmai labs की कंपनी है।

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